मैं एक लहर प्यार की
तू मेरा किनारा हैं
ख़ामोश रहती हो मिलने पर
फिर बिछड़ जाना हैं
धड़कते हुए दिल तड़पते रहते हैं
तेरी याद हर वक़्त , इंतज़ार में जीना मुश्किल
थक गया मैं इंतज़ार में
भुला दू तेरी यादें ? जला दू ये दिल ?
या फिर इसको भरोसा दू ?
बता , तू ही बता इसे मैं क्या नाम दू ?
इंतज़ार की हद हुई बेरूखी अब बेहद हुई
दिल की दरबाजे खोल दो
लबो से तुम भी कुछ बोल दो
ख़ामोशी से हैराद हु
बता इसे रुक्षत कहु या महब्बत कहु ?
मोर लू तुझसे दिल को ?
या मैं तेरी ख्यालो को ज़ाम दू
बता , तू ही बता इसे मैं क्या नाम दू ?