दिल धोखे मैं हैं
और धोकेबाज़ दिल में
दर्द मुझको ढूंढ लेता हैं
रोज़ नए बहाने से
वो हो गया हैं वाक़िफ़ मेरे हर ठिकाने से
आखो का तारा आँख चुराया
ईद का चाँद हो गयी हैं
अकल का अँधा 'ठहरा मैं ,कागज़ काला करता गया
सदर हुआ की कुछ काला नहीं , पूरी दाल ही काली हैं |
प्यार अमर हैं , प्यार धोखा हैं
प्यार में धोखा स्वभाबिक
हम कौन होते हे इसपे चर्चा करने वाले
क्या पता हमें क्या भूल क्या ठीक !!!